एक मनमौजी की दास्तां
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तेरे होंटों को मैं कमल कहता,
तेरी मुस्कान पे ग़ज़ल कहता.
ख्वाब में भी जो हो दीदार तेरा,
मैं उसे प्यार का वसल कहता.
तेरी मुस्कान पे ग़ज़ल कहता….
मैं तेरी-मेरी दिल की नगरी को,
खुबसूरत सा एक महल कहता.
तेरी मुस्कान पे ग़ज़ल कहता….
मुझ से बद-दिल जो हो जाते अगर
उस दिल को तुम दो बदल कहता.
तेरी मुस्कान पे ग़ज़ल कहता….
“राज” गर हो जाता तू बे-वफ़ा,
दिल मेरा भी जाए बहल कहता.
तेरी मुस्कान पे ग़ज़ल कहता….
वसल—मिलन
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