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मेरा नाम भुला दिया…(ग़ज़ल)

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
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उस बेवफ़ा ने मेरा नाम भुला दिया
क्या होगा इसका अंजाम भुला दिया.


भूल कर हम को कभी याद न कर लें वो
इसलिए उसने हमें तमाम भुला दिया.


लिया सहारा शराब का,उसको भुलाने वास्ते
उस बेवफ़ा की याद ने हर जाम भुला दिया.


कोशिशें की पिने की बिना जाम के जो
मगर बाद में हमने लबे-बाम भुला दिया.


रात को सपनों में आना भी छोड़ गए
हम को इसी लिए सरे-शाम भुला दिया.


याद करके ख़राब कर ली हम ने ज़िन्दगी
हम ने उसकी बेवफाई का इनाम भुला दिया.


“राज” गैरों के लिए तुम को छोड़ दिया
के तुम भी थे एक गुलफाम भुला दिया.

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