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बुरा मान गए… (ग़ज़ल)

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
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इश्क आँखों से जताया तो बुरा मान गए
हाले दिल हमने सुनाया तो बुरा मान गए.


चल दिए रूठ कर मुझे एक पल में वो
दूजे पल में न मनाया तो बुरा मान गए.


ताउम्र याद बसा के दिल में हम तो जिए
एक पल को भी भुलाया तो बुरा मान गए.


यूँ तो हर सुब्ह ही दीदार किया करते थे
एक दिन शाम बुलाया तो बुरा मान गए.


वो तो हर रोज़ रुलाया करते थे हमें
एक दिन हमने रुलाया तो बुरा मान गए.


गुरूर उनको बहुत था जमाल पर ऐ “राज”
आइना हम ने दिखाया तो बुरा मान गए.

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