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माँ की ममता (कविता)

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
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वो प्यार भरी थपकी वो माथे पे चुम्बन तेरा

ऐ माँ अभी तेरी परछाईं मेरी आँखों में बाक़ी है।


वो हर रात सुनाना एक मीठी सी लोरी

उसकी मिठास अब भी मेरी सांसों में बाक़ी है।


वो तेरे होंठों की लम्स तेरे सांसों की खुशबू

ये एह्सास अब भी मेरी यादों में बाक़ी है।


मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ

पर तेरी दुआओं का असर मेरी राहों में बाक़ी है।


ऐ “राज” अब दर्द पाकर मुझे एहसास होता है

तेरी ममता का वो दर्द मेरी आहों में बाक़ी है।

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