Menu
blogid : 1994 postid : 101

प्रार्थना (लेख)

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
  • 73 Posts
  • 403 Comments

एक बड़ा समुद्री  जहाज समुद्र में एक तूफान केShip दौरान बर्बाद हो गया और उसमें से केवल दो आदमी बचे जो तैरकर एक छोटे द्वीप पर पहुँचने के लिए सक्षम थे।

दोनों बचे हुए आदमी ये जानते नहीं थे कि अब क्या करना है। इसलिये सिवाय ईश्वर से प्रार्थना करने के उनके पास अन्य कोई चारा नहीं था। हालांकि,, किसकी प्रार्थना अधिक शक्तिशाली है, ये जानने के लिए उन दोनों ने आपसी सहमति से उस क्षेत्र को विभाजित करके एक दूसरे के विपरीत दिशा में रहने क फ़ैसला किया।

पहली चीज जिसके लिये पहले आदमी ने प्रार्थना की वो था भोजन। अगली सुबह, पहले आदमी ने जमीन के अपने पक्ष पर एक फलदार पेड़ देखा  और वह उसका फल खाने के लिए सक्षम था।Tree with fruit

दूसरे आदमी के जमीन का हिस्सा बंजर बना रहा।

एक सप्ताह के बाद, पहले आदमी को अकेलापन महसूस हो रहा था, उसने एक पत्नी के लिए प्रार्थना करने का फैसला किया। अगले दिन, एक और जहाज बर्बाद हुआ, और केवल एक औरत थी जो बच सकी और वो भूमि के पहले पक्ष में तैर कर पहुँची।
और द्वीप के दूसरी ओर, …वहाँ कुछ नहीं था।

जल्द ही पहले आदमी ने एक घर के लिए प्रार्थना की, कपड़े,, और अधिक भोजन के लिये प्रार्थना की। अगले दिन, जादू की तरह, ये सब चीजें भी उसे प्राप्त हो गईं।

हालांकि, दूसरे आदमी के पास अभी भी कुछ नहीं था।

अंत में, पहले आदमी ने एक जहाज के लिए प्रार्थना की, इसलिए कि उसकी पत्नी और वहद्वीप छोड़ सकें। सुबह में, उसनेShip2 द्वीप के अपने पक्ष में एक जहाज खड़ा पाया। पहला आदमी अपनी पत्नी के साथ जहाज में सवार हो गया और दूसरे आदमी को द्वीप पर ही छोड़ने का फैसला किया। उसने दूसरे आदमी को इस योग्य नहीं समझा जो भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि उसकी प्रार्थनाओं में से किसी का भी जवाब नहीं दिया गया था।

जैसे ही जहाज छूटने वाला था पहले आदमी को स्वर्ग से एक आवाज सुनाई दी, “तुम अपने साथी को द्वीप पर क्यों छोड़ रहे हो ?”Heaven
“मेरे आशीर्वाद अकेले मेरे हैं, क्योंकि वो मैं था जिसने इनके लिये प्रार्थना की थी”। पहले आदमी ने जवाब दिया। “उसकी सभी प्रार्थनाएँ अनुत्तरित थीं, और इसलिए वह इसके लायक नहीं है”।
“तुम गलत हो!” आवाज ने उसे डांटा। “उसने केवल एक ही प्रार्थना की थी, जिसका जवाब मैंने दे दिया। अगर ऐसा नहीं होता तो मेरे सारे आशीर्वाद तुम्हें भी प्राप्त नहीं होते”।

“मुझे बताओ”, पहले आदमी ने आवाज से पूछा, “उसने किस चीज के लिए प्रार्थना किया कि मुझे उसे कुछ मदद देना चाहिए?”

स्वर्ग की ओर से वो आवाज फिर आई “उसने ये प्रार्थना किया कि तुम्हारी सारी प्रार्थनायें पूरी हों”।

हम सभी जानते हैं, कि हमें मिली सारी आशीर्वाद हमारे अकेले के प्रार्थनाओं का फल नहीं है अपितु उन दूसरों के भी हैं जो हमारे लिए प्रार्थना करते हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh