एक मनमौजी की दास्तां
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तकरार न कर तू लौट जा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा
फूलों से मिल ख़ूश्बू चुरा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
ये रास्ते हैं कठिन बड़े, तुझे शायद ये है नहीं पता
इस राह पे चलना सजा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
मुझे जलने दे इस आग में, तन्हाई और महफिल में
जल जाएगा न तू पास आ, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
मेरी वफ़ा को चाहे तो ख़ता समझ, ज़फ़ा समझ
ये मेरी है एक इल्तज़ा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
एहसान कर तू एक ज़रा, यूँ बेसबब मुझे ना सता
नज़रें झुका के न दिल जला, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
न याद कर तू कभी मुझे, न कभी मुझे तू याद आ
हर बार मुझे न आजमा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।
कहूँ कैसे उसे “राज”, के साथ जीना साथ मरना
यही नहीं है बस वफ़ा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।।
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