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मुझे भूल जा मुझे भूल जा ( कविता )

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
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तकरार न कर तू लौट जा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा

फूलों से मिल ख़ूश्बू चुरा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।


ये रास्ते हैं कठिन बड़े, तुझे शायद ये है नहीं पता

इस राह पे चलना सजा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।


मुझे जलने दे इस आग में, तन्हाई और महफिल में

जल जाएगा न तू पास आ, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।



मेरी वफ़ा को चाहे तो ख़ता समझ, ज़फ़ा समझ

ये मेरी है एक इल्तज़ा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।


एहसान कर तू एक ज़रा, यूँ बेसबब मुझे ना सता

नज़रें झुका के न दिल जला, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।


न याद कर तू कभी मुझे, न कभी मुझे तू याद आ

हर बार मुझे न आजमा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।


कहूँ कैसे उसे “राज”, के साथ जीना साथ मरना

यही नहीं है बस वफ़ा, मुझे भूल जा मुझे भूल जा ।।

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