एक मनमौजी की दास्तां
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न शिकायतें न गिला करे,
कोइ ऐसा सख़्श भी हुआ करे-
जो मेरे लिये ही सजा करे
मुझ ही से बातें किया करे-
कभी रोये जाये वो बेपनाह
कभी बेतहाशा उदास हो
कभी चुपके चुपके दबे क़दम
मेरे पीछे आ कर हँसा करे
मेरी क़ुर्बतें, मेरी चाहतें
कोइ याद करे क़दम क़दम
मैं लम्बे सफ़र में हूँ अगर
मेरी वापसी की दुआ करे ।
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