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मेरी पहली मुहब्बत ( कविता )

एक मनमौजी की दास्तां
एक मनमौजी की दास्तां
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ज़रा सा ध्यान रख लेना मेरी पहली मुहब्बत है
वफ़ा का मान रख लेना मेरी पहली मुहब्बत है।

कहाँ इस उम्र में हम भेस बदलेंगे फ़क़ीरों का
मिलन आसान रख लेना मेरी पहली मुहब्बत है।

जुदाई के दिनों में लोग चेहरे भूल जाते हैं
मेरी पहचान रख लेना मेरी पहली मुहब्बत है।

जुदाई तो मैं सह लूँगा मगर, तुम फिर से मिल्ने का
कोई इम्कान रख लेना मेरी पहली मुहब्बत है।

अगर पेश करो तुम अपना पहला शेरी मज़्मुआ
तो ये उन्वान (विषय) रख लेना “मेरी पहली मुहब्बत है”।

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